कोली समाज की सफलता, जीत और जुड़ाव के लिये कुछ नया, कुछ नये ढंग से

कोली समाज मे जन्म लिया है  तो उसके बारे जानकारी लेने की इच्छा बचपन से ही रही  है | समाज के बंधुओ से जाना , बहुत सी  किताबे , पत्र पत्रिकाए पढ़ी,  इंटरनेट से जानकारी  जुटाई ! बहुत अच्छा लगा ! कोली समाज ने विश्व को अनेक महान व्यक्ति दिये है | ज्ञात हुआ कि गौतम बुद्ध कोली (कोरी ) समाज से है !  कोली समुदाय सिंधु घाटी सभ्यता  के समय से है | कर्म  के आधार पर  जातियाँ बनी | कोली भारत  के मूल निवासी है जो  आज  अनुसूचित जाति , जनजाति , पिछड़ा  वर्गो  मे शामिल किये गये  है ! पुराना व्यवसाय जुलाहे (कपड़े बुनना ) का रहा है | समय  की मांग और  मशीनीकरण  के कारण आज समाज के लोग विभिन्न व्यवसायो  को अपनाये  हुए  है |
इतिहास से  पता चलता है कि महान सम्राट अशोक महान कोली समाज से थे,  जिनका  चक्र आज भारत  के ध्वज मे चमकता  नजर आता है | प्राचीनतम राजा मन्धाता सर्वोपरी  व सार्वभौमिक राजा थे जिनका यश, कीर्ति अनेक  शिला लेखो  पर अंकित है, वे भी इसी  कोली समाज के थे !  ऋषी  वाल्मीकी  जिन्होने रामायण  लिखी वे भी कोली थे !  महाराष्ट्र  मे आज भी रामायण को कोली  रामायण कहा जाता है |  रामायण  की शिक्षा भारतीय  संस्कृति का आधार है | महान  संत  कबीर  जुलाहे थे | उन्होने अपनी रचनाओ मे लिखा – “क़हत कबीर कोरी” स्वयं  कहा है ! जानकारी मिलती है सौराष्ट्र के भक्त  भदूर दास , भक्त बलराम , जूनागढ के संत वेलनाथ जी,  भक्त जोबनवगी,   संत कजी  स्वामी 17 वी व 18 वी शताब्दी  के थे !  ये सभी कोली समुदाय से थे | तानाजी  राव मालसुरे जिन्हे शिवाजी “ मेरा शेर”  कहते  थे उनके  प्रधान सेनापति थे | वे कोली समाज के थे | शिवाजी ने तानाजी की स्मर्ति  मे  “कोड़ना गढ”  का नाम  “सिन्हाढ”   रखा | सन 1857 की स्वतंत्रत्ता  की लड़ाई मे महारानी  लक्ष्मीबाई  की प्रमुख साथी झलकारी  बाई  ने  महत्वपूर्ण भूमिका  निभाई | कोली  समाज को इन पर हमेशा गर्व रहेगा |

कोली वंश के काशी नरेश  राजाराम है जो अपना राज्य  छोडकर ऋषि बने | योगीराज संत श्री कनुआ बाबा, देवी महामाया, गौतमी, यशोधरा,  विरुबल्लुबर  तिरुक्कुरल चोल रक्षित,  जुरण पाटिल ,गुरु घासीदास जी कबीर पंथी ,आदिवासी बिरसा मुंडा, छत्रपति  शाहूजी महाराज , स्वतंत्रा कर्मवीर जायानंद  भारती , योगी संत धूधलीमल  महान कोली लोगो की लम्बी सूची बनाते है !
कहा जाता है की श्री राम का जन्म महाराजा मन्धाता के बाद 25वी  पीढ़ी  मे हुआ था | मान्धाता  और  श्री राम  ईक्षवाकु के सूर्यवंश  से थे | बाद  मे  यह वंश नौ भागो मे बट  गया | ये वंश थे मल्ल, जनक, विद्रोही कोलिय,  मौर्य , लिच्छवी, जनत्री ,वाज्जी और शाक्य | मंधाता ईक्षवाकु  के सूर्यवंशी से थे उनके उत्तरधिकारीयो  को  सूर्यवंशी   कोली राज के नाम  से जाना जाता है | प्राचीन  वेद  महाकाव्य  और अन्य अवशेष मे मंधाता के उत्तरधिकारियो की  युद्ध  कला और राज्य प्रशासन मे उनके  महत्त्व  योगदान को बताते है | प्राचीन संस्कृत की  पुस्तको  मे  उन्हे कुल्या  कुलिए,  कोली सर्प ,कौलीक, कौल आदि कहा गया है |

कोली समाज  वह समाज है जिसने अपनी  देवी,  मुंबा  देवी   के नाम  से मुंबई की स्थापना  व  निर्माण  किया ! आज  भारत मे कश्मीर  से कन्या कुमारी  तक  कोली  बसे हुए  है !  क्षेत्रीय भाषाओं के कारण इनके नाम में कुछ परिवर्तन हुआ है ! इसके प्रमुख समूह – क्षत्रिय कोली ,कोली राज,  कोली राजपूत,  कोली सूर्यवंशी , नागर कोली , कोली महादेव , कोली पटेल , कोली ठाकोर , बवराया, थारकर्डा , पथानवाडिया , मईन कोली , कोयेरी  मंधाता पटेल आदि है| भारत के ये मूलवासी कृषि भू भागो और समुद्री  तटीय क्षेत्रो  मे निवास  करते है  | जनगणना  मे 1040 से भी अधिक उप समूहो  को एक मुश्तरूप से कोली  कहा जाता है  | गुजरात  मे  मूलरूप से रहने  वाले लोगो में  कोली और  आदिवासी  भील ही  है |
वर्तमान  स्थिति अलग  है  इसके  लिए  हम  किसी  को भी पूरी  तरह  से  दोष नहीं दे सकते | इतिहास  मे  यह  होता आया है कि कभी शक्तिशाली  रहे लोग पतन  को प्राप्त  हुए  और  पूरी  तरह से अद्रश्य  हो गये ! यहाँ  योग्तयम  की जीत  का नियम है | कमजोर व्यक्ति भी संघर्ष करके उच्च स्थान पा सकता है ! पूर्वजो या किसी को दोष देने से कुछ भी नहीं होने वाला ! स्वयं का भी अवलोकन करे कि हमने समाज के लिए क्या योगदान दिया ! जिस तरह से आप समाज से अपेक्षा रखते है,  समाज भी आपसे बहुत सी उम्मीदे रखता है ! लोगो  को  महान  प्रयास  करने होते है | कुर्बानिया  देनी होती है | हम भी लगातार  संघर्ष करे ताकि इतिहास  लिखने के लिए नया कुछ हो  |
आज हमारे पास एम॰ पी॰, एम॰ एल ॰ ए , मंत्री ॰, डॉक्टर ,वकील , इंजिनीयर, प्रोफेसर प्रशासनिक  अधिकारी ,अध्यापक,  व्यवसायी ,लाखो स्नातक ,बुद्धिमान लोगो का बड़ा समूह है | वे अपनी कुशलता  का प्रयोग अपने धर्म , संकृति  परम्परा , समाज  के विकास ,  उत्थान मे करे | वर्तमान पीढ़ी  के  सम्पन्न लोग समाज का नेतृत्व  करे | जिससे   हम हमारे अतीत  के गौरव को पुन: प्राप्त  कर सके |

                                                                                            गौत्र

अटारिया, अटसोलिया असमालिया ,अजमेरिया ,अजनिया,असटोकलिया ,अमरवाल ,अगरिया ,अकलोदया ,आमेरिया  ,आमोद, आमडोदिया ,आमेरा
इन्दोरिया ,इकलोतिया , ऊनदरवाल ,उदगरिया  उंचवाल ,उचरिया ,उमरवाल ,उदगरा
ओसवाल , ओरास्या ,कलुणगरिया,कथूरिया ,कसारिया, कवारिया ,कालोजया ,कनोजिया ,कटारिया ,कसोडिया ,कथवालिया,      
कालेड़ा , कालोंडिया , कालचड़ा , कालेता , कालोता , कालरा , कामिया , कारेलिया , कुण्डलवाल , कसाडिया , कसरिया , कोलोरिया , कोटिया , कोविन्द , कैमारिया
खटुमरा , खटनावल्या , खण्डवाल , ख़ासिया , खेणवाल , खेनवाल , खोरवाल , खोछवाल
गहरवार, गडोरिया , गंगेरिया , गयारसा , गार्गिया , गांझा , गेरवाल , गेंडामार , गेंदावत , गोलरिया ,गोठवाल , गोडरिया , गोरख , गोदिया , गोजा , गोखरेला , गोरधनिया , गोटीरिया , गौर , गंगरिया ,गंगवाल , गंगबधया , गंगापारा , गंगोरपुरिया , घडोरिया , घिघोरिया , चणगरिया , चावड़ा , चित्तौड़िया , चिचड़ा , चौहान ,
छानिवास , छावरिया , छावरा , छानवाल , ज्योतड़ल्या , जनुठिया , जग्गरवाल , ज्योतियान , जसोरिया, जवारिया ,जगरिया, जागोरिया ,जिरोलिया , जुझाजिमा , जूनवाल ,  जैथल , जोनवाल , जैत्रोलिया , झाजेरिया, झणडानिया , झंझनिया ,टाटूडा  , टाकरिया , टाइटर , टाटू , टूण्डिया , टोडीवाल , टोलवाल , डनडवालिया, डनेतिया , डगाडा, डन्दोरिया, डीगयादा , डरोबाइया , डाड, दन्देरिया, डोलीवाल, तडाया , तंटवा , तलुण्डिया , तलाया ,तरवरिया,  तालचिड़ा , ताबिया  , ताजोरिया , तेवर ,तोणगरीया
थापारिया , थानवाल , थूणवाल , दहिया , दंगड़ा , दापुरिया  , दिलवारिया , दुरिया, दुहारिया , दुबे , देरादिया , देतोड़िया , देगइया , देवतवाल , दोतानिया , दोताणा ,
धनवाड़िया , धनपुडेलिया , धनडेलिया , धंधोलिया , धनिया , धोलीवाल
नवरिया , नन्दभया , नवाणा , नरावलिया , नबला , नान्दोरिया , नवरिया , नारिया , नवला , नामोरिया ,निमोरिया , नेपालपुरिया , नेपालपुरी , नेरानिया  , नैनपुरिया , नोहाणा , नोरंगा ,पचुनिया , परखनिया , पलैया , पटेल , पहाड़िया , पंचमणया , पंवार , पंचुणा , पांचवरिया  , पंचमुणिया ,पलखिया , पतेदिया , पालका , पांडुसिया , पालीवाल , पांडुनियास , पातलवाल , पिंगोरिया  , पुनी , पोरसिया , पेड़वा , फतुपरिया ,  फोंडरिया ,
बड़गोती , बधेल , बन्दोरिया , बरेठिया , बनौदा बड़ोदिया , बन्डोलिया , बडगूजर , बटोलिया , बढ़ोला , बंगालिया  , बनौलिया , बंदिया , बामोरिया , बासनवाल , बांसरोल , बिन्दोरिया ,बुन्देल , बुन्देला , बारावर , बेहरवाल , बैरवाल ,भसनैया , भदेल , भामोरिया , भकरवाल , भाटी , भूगोडिया , भेजिया , भेसवाल ,मडोरिया , मठसुरिया , मंडिया , मण्डीजवाल , मंगोलिया , मामसिया , मिठोलिया , मुरंडिया , मूंगेणा, मुराडिया , मेर , मोरिया , मोहिजा , मोहनिया , मोरवाल, मौर्य ,रसबरनिया , रसपष्या , राकवारिया , रातिवाल , राडिया , राठौड़ , रारिया , रिजोनिया , रेवास्या ,राजोरिया , रेवतवाल , रोडिया , रोधिया , रोधीयान ,लताया , लखविडा , लम्बाईया , लाख , लोडिया , लुहावण , लहवासिया , लोहरवल , लोहारवाडिया , लोडवरिया , लोवडारा ,वाईसा , शपठा , शंखवार , शंकरवाल , शाक्य , शाक्यवाल , शांडिल्य ,समूण , सरेड़िया , समुचिया , सतावना , सत्यावना , सरवाल , सवारीवाल , समेलिया , सजोरिया ,
सवालिया , संरसुणी , सहरवाल , साल्या , ससुरवाल , सरसोषया , सरसुणिया , सलोनिया , समोनिया ,सपावस्या , सहवाल , समरवाल , सत्यवना , सलोत्री , सांखला , सगोलिया , सिसोदिया , सिमोलिया , सीमेलिया , सिन्देल , सिपटिया , सितपुरिया , सुपावस्या , सुमेरवाल , सुसलीवाल , सुनारिया , सुन्दरिया , सेवरिया , सेरचौधरी , सेकवाल , सोनगरा , सोगरा , सोनियान , सोहता , सिकरवल , सोकरीवाल , सोरिया , सोदयिया , सोहनवाल , सोलंकी
हल्दुनिया , हाडा, हिणडोलिया , हतोजिया , हिटकोरिया


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